ओम नमः शिवाय [होरी काव्य सागर से ]
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देश में बढ़ती जाती दिनदिन, हिजड़ों की नव टोली |
हाव भाव हम उनके सीखे , सीख गए हैं , बोली ||
गंभीर समस्याओं के हल में , बजा रहे हैं ताली,
और उन्हीं की भाँति निकालें ..मुख से 'आय हाय' ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय ||
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कभी गरीबी , कभी अशिक्षा , कभी धर्म की आड़ |
जनसँख्या के हम नित , नित , करते खड़े पहाड़ ||
भगवान की देन हैं बच्चे, कह पुनः शुरू हो जाते ,
बच्चे जनने की मशीन को, निश दिन रहे चलाय ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय ||
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आँखों में पट्टी क्यों बाँधे , न्याय्कारिणी देवी ?
आँख की अंधी , गाँठ की पूरी , न्याय्धारिणी देवी ||
मनुज न्याय है मत्स्य न्याय क्यों बनता जाता दिन दिन?
चौराहों पर चर्चा क्यों है ? आज बिक रहा न्याय ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय ||
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कहीं कसाब , कहीं पर अफज़ल, मिलते कहीं सईद |
भष्मासुर आतंकी करते मिट्टी , हिंद पलीद ||
पर भारत में जमें शिखंडी , युद्ध करें क्या खाक ,
अब आतंकवाद में हे शिव , तुम ही होउ सहाय ||
ओम नमः शिवाय , ओम नमः शिवाय
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राज कुमार सचान 'होरी'
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