गाँव गाँव में देखिये , बैठे हैं बेकार |
कोई सुरा गुलाम है , कोई मक्खी मार ||
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अन उत्पादक खेत है , उत्पादक परिवार |
आज कृषक पर पड़ रही , होरी दोहरी मार ||
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बस किसान को चाहिए , दो हाथों को काम |
'होरी' खेती में नहीं , दो रोटी का दाम ||
राज कुमार सचान 'होरी'
live rural india
ReplyDeletegram bharat aaj bhi dukhi
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