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Friday, 1 July 2011

CHALO CHALEN GAANWON KI OR

चलो  चलें  गांवों  की  ओर  |
थामें   मात्र  सदन की डोर ||
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यह देखो  यह  चिड़िया रानी ,
कहते जिसे सभी हम मोर |
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यहाँ  नहीं  शहरी  कोलाहल ,
यहाँ  न कोई किंचित    शोर |
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चलो  चलें   हम पुनः   देखने ,
ग्राम गली   की  स्वर्णिम भोर |
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देखो  अपने ताल तलैया  ,
'होरी'   देखो   अपने       ढोर |
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                                            राज कुमार सचान 'होरी' 

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