आईये मेरे साथ देखिये यह गाँव ,
नाम कुछ भी रख लो ..........
हैं तो सब एक ही |
खाली हाथ बैठे , बस यूँही बातें करते , निरर्थक
किसी भी विषय पर ......कभी कभी पीते झगड़ते . लड़ भिड जाते ,
कोर्ट कचहरी ले कर उधार |
खेत मशीनों ने कब्जा लिए हैं ,
मजदूर नरेगा ने ,
खाद , बिजली ,पानी सब इतने आसमान में जा बैठे हैं ,
कि मत पूछो किसान को बचता क्या है ?
वही भाग दौड़ बस जिससे वह जिन्दा है
शराब से गम गलत न करे तो करे क्या ?
लेखको , कवियों तुम्ही देखो .....ग्राम भारत कहाँ है ?
राज कुमार सचान 'होरी'
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