देश की ८०% जनसंख्या आज भी गांवों में बस्ती है. यद्यपि यह सही है कि स्वतंत्रता के पश्चात गांवों में बहुत विकास कार्य हुए हैं परन्तु ८०% जनसंख्या कि आंशिक बेरोजगारी बहुत भयावह है. खेती में मशीनों के प्रयोग से ग्रामीण किसान और मजदूर बेरोजगार हुआ है. आज गांवों में लोग काम करते नहीं किसी तरह खाली समय पास करते मिलेंगे . काम न होने के कारण शराब ,जुए और अपराध का बोलबाला है. खेती में प्रति hectare आमदनी गिरती जा रही है तभी किसान और मजदूर कि आर्थिक स्थिति दिन पर दिन दयनीय हो रही है. जहां नरेगा से लाभ हो रहा है वहीं किसान खेती छोड़ने लगें है . अनेक लघु और सीमान्त किसान तो अपने खेत balkath [अनुअल रेंट] में उठा कर स्वयं नरेगा में मजदूरी करने लगे हैं. आज भारत सरकार और प्रदेश सरकारों को चाहिए कि खेती की लागत कम आये .नेट इनकम तभी बढाई जा सकती है.महात्मा गांधी के कुटीर उद्योग गाँव गाँव में चलाने होंगें . चीन से भी सबक लेने की जरूरत है
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